जयपुर . पिछले पांच साल में बढ़ी महंगाई के बावजूद प्रशिक्षु कर्मचारियों का वेतन नहीं बढऩे से कई विभागों में युवाओं का Sarkari Naukri से मोहभंग हो रहा है। हालात ये हैं कि नगरीय निकाय और बिजली कंपनियों को जूनियर इंजीनियर नहीं मिल रहे।
जूनियर इंजीनियर को सरकार दो साल तक 10,000 रु. मासिक एकमुश्त वेतन देती है। विशेषज्ञों की मानें तो इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने पर औसतन 9 लाख रु. का खर्च भी माना जाए और इसके लिए कोई शिक्षा ऋण ले तो करीब 13 प्रतिशत ब्याज दर से 11 हजार रु. मासिक का ब्याज ही बन जाता है।
इसी का असर है कि जूनियर इंजीनियर ढूंढ़े नहीं मिल रहे। जो युवा आवेदन करते भी है, उनमें से अधिकांश या तो ज्वॉइन नहीं करते या ज्वाइन करने के बाद त्यागपत्र देकर चले जाते हैं।
इन विभागों में दो-दो बार वैकेंसियां निकालनी पड़ी। स्वायत्त शासन निदेशालय ने फिर 148 जेईएन की नई भर्ती निकाली है। इसमें आधी पोस्टें पुरानी ही हैं। यह स्थिति तो तब है जब देश में कई इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो चुके हैं तो प्रदेश में भी 13000 से ज्यादा इंजीनियरों की सीट खाली रह गई हैं।
प्रशिक्षु इंजीनियरों के मामले को लेकर याशी कंसलटेंसी के प्रॉपराइटर संजय गुप्ता बताते हैं कि प्राइवेट सेक्टर में डिग्रीधारक जूनियर इंजीनियर को न्यूनतम 15 से 20,000 रुपए और डिप्लोमाधारक इंजीनियर को 9 से 11000 रु. मासिक वेतन मिलता है।
प्राइवेट सेक्टर में Government Job की तुलना में परफोरमेंस के आधार पर तरक्की के ज्यादा अवसर हैं, इसलिए बिजली कंपनियों को भी जूनियर इंजीनियरों की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एच.आर. एक्सपर्ट अल्का बत्रा का मानना है कि करियर को लेकर युवाओं की सोच बदल रही है।
जॉब सिक्योरिटी के बजाय वे अब फास्ट ग्रोथ चाहते हैं, जो उन्हें प्राइवेट सेक्टर में ही मिल सकती है। सरकार को न्यूनतम मानदेय में बढ़ोतरी पर विचार करना चाहिए।
राजस्थान सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिवशंकर अग्रवाल का कहना है कि हमने मुख्य सचिव सी. के. मैथ्यू और प्रमुख वित्त सचिव डॉ. गोविंद शर्मा को ज्ञापन देकर प्रोबेशन पीरियड का मानदेय बढ़ाने की मांग की है।
इतनी सी तनख्वाह में कैसे हो गुजारा
सचिवालय में हाल ही भर्ती किए गए कनिष्ठ लिपिक का मानदेय 6100 रु. है। नगरीय निकायों में भर्ती किए जा रहे जूनियर इंजीनियर का मानदेय 10,000 रु. है।
जयपुर में अगर एक व्यक्ति किराए का कमरा लेकर भी रहे तो कम से कम 3000 रुपए मकान किराया, 1500 से 2000 रुपए ट्रांसपोर्टेशन खर्च, 1000 रु. मोबाइल बिल, और करीब 5,000 रु. खाने में खर्च होते हैं। इस तरह एक व्यक्ति का न्यूनतम खर्चा 12 से 13000 रु. महीने आता है।
राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति
राजस्थान में इंजीनियरिंग के 127 कॉलेजों में 59306 सीटें हैं। इनमें 10 कॉलेज सरकारी क्षेत्र और 117 कॉलेज प्राइवेट सेक्टर में हैं। इनमें से इस साल 13,000 से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं। जबकि कुछ कॉलेजों में कई ब्रांचें बंद करनी पड़ी हैं।
मानदेय बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं : धारीवाल नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि हमें भी प्रोबेशन पीरियड के दौरान दिए जाने वाले एकमुश्त मानदेय को बढ़ाने को लेकर कई ज्ञापन और आवेदन मिले हैं। इस संबंध में हम वित्त विभाग के अधिकारियों से चर्चा करके मानदेय बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
कोई ज्वॉइन नहीं करता, कोई इस्तीफा दे जाता है
नगरीय निकायों के लिए मई, 2011 में जेईएन के 204 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी। इनमें से 31 लोगों ने ज्वाइन ही नहीं किया। इसके बाद 31 पोस्ट को शामिल करते हुए अगस्त, 2012 में फिर जेईएन की 89 वैकेंसी निकाली गईं। इनमें से फिर 15-20 लोगों ने ज्वाइन नहीं किया।
इन पदों को वेटिंग लिस्ट में से ये पद भरने पड़े। अब तक इनमें से करीब 15 जेईएन इस्तीफा देकर जा चुके हैं। कुछ नई पोस्टें हाल ही बजट में मिली हैं, इसलिए फिर 148 जेईएन की भर्ती निकाली गई है। इसी तरह पंचायतीराज विभाग में पिछले साल जेईएन के 170 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी।
इनमें से 10 लोगों ने ज्वाइन ही नहीं किया, जबकि 25 इंजीनियर इस्तीफा देकर चले गए। राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम में दो साल में 369 जेईएन की भर्ती की गई थी। इनमें से 31 जेईएन इस्तीफा देकर चले गए।
जूनियर इंजीनियर को सरकार दो साल तक 10,000 रु. मासिक एकमुश्त वेतन देती है। विशेषज्ञों की मानें तो इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने पर औसतन 9 लाख रु. का खर्च भी माना जाए और इसके लिए कोई शिक्षा ऋण ले तो करीब 13 प्रतिशत ब्याज दर से 11 हजार रु. मासिक का ब्याज ही बन जाता है।
इसी का असर है कि जूनियर इंजीनियर ढूंढ़े नहीं मिल रहे। जो युवा आवेदन करते भी है, उनमें से अधिकांश या तो ज्वॉइन नहीं करते या ज्वाइन करने के बाद त्यागपत्र देकर चले जाते हैं।
इन विभागों में दो-दो बार वैकेंसियां निकालनी पड़ी। स्वायत्त शासन निदेशालय ने फिर 148 जेईएन की नई भर्ती निकाली है। इसमें आधी पोस्टें पुरानी ही हैं। यह स्थिति तो तब है जब देश में कई इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो चुके हैं तो प्रदेश में भी 13000 से ज्यादा इंजीनियरों की सीट खाली रह गई हैं।
प्रशिक्षु इंजीनियरों के मामले को लेकर याशी कंसलटेंसी के प्रॉपराइटर संजय गुप्ता बताते हैं कि प्राइवेट सेक्टर में डिग्रीधारक जूनियर इंजीनियर को न्यूनतम 15 से 20,000 रुपए और डिप्लोमाधारक इंजीनियर को 9 से 11000 रु. मासिक वेतन मिलता है।
प्राइवेट सेक्टर में Government Job की तुलना में परफोरमेंस के आधार पर तरक्की के ज्यादा अवसर हैं, इसलिए बिजली कंपनियों को भी जूनियर इंजीनियरों की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एच.आर. एक्सपर्ट अल्का बत्रा का मानना है कि करियर को लेकर युवाओं की सोच बदल रही है।
जॉब सिक्योरिटी के बजाय वे अब फास्ट ग्रोथ चाहते हैं, जो उन्हें प्राइवेट सेक्टर में ही मिल सकती है। सरकार को न्यूनतम मानदेय में बढ़ोतरी पर विचार करना चाहिए।
राजस्थान सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिवशंकर अग्रवाल का कहना है कि हमने मुख्य सचिव सी. के. मैथ्यू और प्रमुख वित्त सचिव डॉ. गोविंद शर्मा को ज्ञापन देकर प्रोबेशन पीरियड का मानदेय बढ़ाने की मांग की है।
इतनी सी तनख्वाह में कैसे हो गुजारा
सचिवालय में हाल ही भर्ती किए गए कनिष्ठ लिपिक का मानदेय 6100 रु. है। नगरीय निकायों में भर्ती किए जा रहे जूनियर इंजीनियर का मानदेय 10,000 रु. है।
जयपुर में अगर एक व्यक्ति किराए का कमरा लेकर भी रहे तो कम से कम 3000 रुपए मकान किराया, 1500 से 2000 रुपए ट्रांसपोर्टेशन खर्च, 1000 रु. मोबाइल बिल, और करीब 5,000 रु. खाने में खर्च होते हैं। इस तरह एक व्यक्ति का न्यूनतम खर्चा 12 से 13000 रु. महीने आता है।
राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति
राजस्थान में इंजीनियरिंग के 127 कॉलेजों में 59306 सीटें हैं। इनमें 10 कॉलेज सरकारी क्षेत्र और 117 कॉलेज प्राइवेट सेक्टर में हैं। इनमें से इस साल 13,000 से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं। जबकि कुछ कॉलेजों में कई ब्रांचें बंद करनी पड़ी हैं।
मानदेय बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं : धारीवाल नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि हमें भी प्रोबेशन पीरियड के दौरान दिए जाने वाले एकमुश्त मानदेय को बढ़ाने को लेकर कई ज्ञापन और आवेदन मिले हैं। इस संबंध में हम वित्त विभाग के अधिकारियों से चर्चा करके मानदेय बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
कोई ज्वॉइन नहीं करता, कोई इस्तीफा दे जाता है
नगरीय निकायों के लिए मई, 2011 में जेईएन के 204 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी। इनमें से 31 लोगों ने ज्वाइन ही नहीं किया। इसके बाद 31 पोस्ट को शामिल करते हुए अगस्त, 2012 में फिर जेईएन की 89 वैकेंसी निकाली गईं। इनमें से फिर 15-20 लोगों ने ज्वाइन नहीं किया।
इन पदों को वेटिंग लिस्ट में से ये पद भरने पड़े। अब तक इनमें से करीब 15 जेईएन इस्तीफा देकर जा चुके हैं। कुछ नई पोस्टें हाल ही बजट में मिली हैं, इसलिए फिर 148 जेईएन की भर्ती निकाली गई है। इसी तरह पंचायतीराज विभाग में पिछले साल जेईएन के 170 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी।
इनमें से 10 लोगों ने ज्वाइन ही नहीं किया, जबकि 25 इंजीनियर इस्तीफा देकर चले गए। राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम में दो साल में 369 जेईएन की भर्ती की गई थी। इनमें से 31 जेईएन इस्तीफा देकर चले गए।
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