Thursday 29 August 2013

Shiksha Mitra News : TET के नाम पर भड़के शिक्षा मित्र, करेंगे विरोध

लखनऊ। शिक्षा मित्र टीईटी के नाम पर भड़क गए हैं। उनका कहना है कि 13 साल की सेवा के बाद उनके लिए टीईटी की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। वह पहले से ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं और शिक्षक की श्रेणी में आते हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद उन्हें प्रशिक्षित कर समायोजित करते हुए वेतनमान दिया जाना चाहिए न कि टीईटी की अनिवार्यता उन पर लागू की जानी चाहिए। शिक्षा मित्र शीघ्र ही इस संबंध में मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखेंगे। इसके बाद भी इस पर विचार न किया गया तो आंदोलन छेड़ेंगे।
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी स्कूलों में मौजूदा समय करीब 1.76 लाख शिक्षा मित्र बच्चों को पढ़ाते हैं। प्रदेश में शिक्षा मित्रों को रखने की प्रक्रिया वर्ष 2000 से शुरू हुई थी। राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में इन्हें दो वर्षीय बीटीसी का प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक बनाने का निर्णय किया था।
पर हाईकोर्ट की ने 30 मई 2013 को यह आदेश दिया है कि प्राइमरी स्कूलों में टीईटी पास ही केवल शिक्षक बनने के लिए पात्र होगा। बेसिक शिक्षा विभाग इसके आधार पर संशोधित नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर रहा है।
आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार शाही और उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष के अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने कहा है कि टीईटी नए शिक्षकों की भर्ती के लिए अनिवार्य है।
शिक्षा मित्र तो शिक्षक की श्रेणी में आते हैं, ऐसे में उनके ऊपर टीईटी नहीं थोपा जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि शिक्षा मित्रों का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मिलेगा और इस संबंध में अपना पक्ष रखेगा


News : अमर उजाला (29.8.13)

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