इलाहाबाद।। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा मित्रों के चयन पर लगाई रोक को जायज ठहराया है। हाई कोर्ट के तीन जजों की पूर्ण पीठ अपने फैसले में कहा है कि चयनित होने के कारण किसी अभ्यर्थी को नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं मिल जाता। इसके साथ हाई कोर्ट ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर प्रदेश सरकार द्वारा 2 जून 2010 को लगायी गई रोक को नीतिगत निर्णय माना है तथा कहा है कि वर्ष 2009-10 में चयनित 355 शिक्षामित्रों को नियुक्ति पाने का वैधानिक अधिकार नहीं है।
हाई कोर्ट ने कहा है कि चयन के बाद भी सरकार उचित कारण होने पर चयनित शिक्षामित्रों को नियुक्ति देने से इंकार कर सकती है।
हाई कोर्ट की यह निर्णय जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस प्रकाश कृष्णा व जस्टिस संजय मिश्रा की बेंच ने कुमारी संध्या सिंह व दर्जनों अन्य याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। शिक्षामित्रों का कहना था कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर रोक लगाने से पूर्ण उनका चयन हो गया था इस कारण वे इस पद पर नियुक्ति पाने के हकदार हैं।
पूर्णपीठ ने अभ्यर्थियों के इस तर्क को सही नहीं माना है तथा कहा है कि चयन हो जाने से किसी को नियुक्ति पाने का हकदार नहीं मिल जाता
हाई कोर्ट ने कहा है कि चयन के बाद भी सरकार उचित कारण होने पर चयनित शिक्षामित्रों को नियुक्ति देने से इंकार कर सकती है।
हाई कोर्ट की यह निर्णय जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस प्रकाश कृष्णा व जस्टिस संजय मिश्रा की बेंच ने कुमारी संध्या सिंह व दर्जनों अन्य याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। शिक्षामित्रों का कहना था कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर रोक लगाने से पूर्ण उनका चयन हो गया था इस कारण वे इस पद पर नियुक्ति पाने के हकदार हैं।
पूर्णपीठ ने अभ्यर्थियों के इस तर्क को सही नहीं माना है तथा कहा है कि चयन हो जाने से किसी को नियुक्ति पाने का हकदार नहीं मिल जाता
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